फेफड़ा यानी लंग्स जो कि शरीर का एक बहुत अहम हिस्सा है। फेफड़ों का अहम कार्य हो या है जब फेफड़ा फैलते हैं तो शरीर में हवा खींचने का काम करते है और जब सिकुड़ते हैं तो शरीर द्वारा बनाए गए कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
जब फेफङे रोग ग्रस्त या कार्य करना कम कर देते हैं तो यह कार्बन डाइऑक्साइड निकालने और पर्याप्त ओक्सीजन लेने का काम सही तरीके से नहीं कर पाते हैं। अगर फेफड़ों के रोग के शुरूआती लक्षण का पता चल जाए तो फेफड़े की बिमारी से बचा जा सकता है।
फेफड़ों के रोग :-
- अस्थमा
- सी ओ पी डी
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
- इमफाईसेमा
- टी बी
- फेफड़ों का कैंसर , इत्यादि।
फेफड़े के बीमारी को बचाव करने के लिए दवाई के अलावा फिजीयोथरेपी एक कारगर इलाज है। चेस्ट फिजीयोथरेपी से हम फेफड़ों की मजबूती बढ़ा सकते हैं और बीमारीयों से बचा सकते हैं। मनुष्य का फेफड़ा इलास्टिक टूबयूल्स से बना है, जिसमें सिकरेशन जमा होने की क्षमता ज्यादा होती है। इसलिए हम फेफड़ों की क्षमता को चेस्ट फिजीयोथरेपी यानी एक्सरसाइज से ठीक कर सकते हैं।
नीचे कुछ नियमीत एक्सरसाइज दिए गए हैं :-
- डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज :-
- प्रस्ड लीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज:-
- डायाफ्रामेटिग एक्सरसाइज
- ब्रीदीग होल्ड:-
- पौस्चरल ड्रेनेज :-
फेफड़े में सूजन और बहुत अधिक बलगम के कारण सांस की समस्याओं का इलाज करने में मदद करने के लिए पोस्टुरल ड्रेनेज एक तरीका है। जिस जिस फेफड़ों के भाग में ज्यादा बलगम जमा होता है उस भाग को कंपन दे कर निकाला जाता है।
- पेरीफेरल और रिस्पाईरेटरी मसल्स एक्सरसाइज।
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